Thursday, June 11, 2015

Ek Haseen Shaam Ko

रोज़ शाम आती थी मगर ऐसी ना थी
रोज़ रोज़ घटा छाती थी मगर ऐसी ना थी
ये आज मेरी ज़िंदगी मे कौन आ गया
~ मजरूह
Monsoon SunSet 1


शाम भी थी धुआँ धुआँ, 
इश्क़ भी था उदास उदास
दिल को कई कहानियाँ 
याद सी आके रह गयीं
~ फिराक़ गोरखपुरी
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कोई आहट नहीं बदन की कहीं 
फिर भी लगता है तू यहीं है कहीं 
वक्त जाता सुनाई देता है
तेरा साया दिखाई देता है
जैसे खुशबू नज़र से छू जाए
सुरमई शाम इस तरह आये
सांस लेते हैं जिस तरह साये
 ~ गुलज़ार
Monsoon SunSet 4

कोई भी उसका राज ना जाने, 
एक हक़ीक़त लाख फसाने
एक ही जलवा शाम सबेरे 
भेस बदलकर सामने आए
पिघला है सोना दूर गगन पर
फैल रहें हैं शाम के साए
~ साहिर    WP_20140912_004 crop



दोनो वक़्त मिलते हैं दो दिलों की सूरत से
आसमाँ ने खुश होकर रंग सा बिखेरा है
पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है
सुरमई उजाला है, चंपाई  अंधेरा है
~ साहिर
Monsoon SunSet 3



कहीं दूर जब दिन ढल जाए 
सांझ की दुल्हन बदन चुराए, 
चुपके से आए
मेरे ख़यालों के आँगन मे 
कोई सपनो के दीप जलाए, 
दीप जलाए
~ योगेश
Monsoon SunSet 12

एक रूठी हुई, तक़दीर जैसे कोई
खामोश ऐसे है तू, तस्वीर जैसे कोई
तेरी नज़र, बन के जुबां, लेकिन तेरे पैगाम दिए जाए
ये शाम मस्तानी, मदहोश किये जाए
मुझे डोर कोई खींचे, तेरी ओर लिए जाए
~ आनंद बक्शी
  Monsoon SunSet 10


मेरी हस्ती पे कभी यूँ कोई छाया ही ना था
तेरे नज़दीक मैं पहले, कभी आया ही ना था
मैं हूँ धरती की तरह, तुम किसी बादल की तरह
शाम रंगीन हुयी है, तेरे आँचल की तरह
सुरमई रंग सजा है, तेरे काजल की तरह

कैफ़ी आज़मी


  Monsoon SunSet 8

मेरे दिल के कारवाँ को
ले चला है आज कोई
शबनमी सी जिसकी आँखे
थोड़ी जागी थोड़ी सोई
उनको देखा तो मौसम सुहाना हो गया
एक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया
~ राजा मेहदी अली ख़ान

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1 comment:

Anjali Sengar said...

Wonderful words..

http://zigzacmania.blogspot.in/